एक सौतेली माँ और सौतेला बेटा, अपनी नीरसता से ऊबकर, एक साथ आत्म-आनंद में लिप्त होते हैं। उनकी व्यक्तिगत दिनचर्या एक साझा, कामुक अनुभव में बदल जाती है, जिससे उनके बीच एक उग्र जुनून प्रज्वलित होता है।.
एक कामुक सौतेली माँ आत्म-आनंद में लिप्त होती है, अपने सौतेले बेटे के हाथ को निर्देशित करती है, आत्म-खुशी की कला में उसका मार्गदर्शन करती है।.